लीवर हमारे शरीर का एक बहुत ज़रूरी अंग है| इसे जिगर भी कहा जाता है| यह हमारे शरीर में छाती के नीचे पेट के दायीं तरफ होता है|
लीवर एक प्रकार की छन्नी के तौर पर काम करता है जो की हमारे खून में मोजूद ज़रूरी तत्वों जैसे ऑक्सीजन, खाने के पाचन रस, वसा या चर्बी आदि को सोख लेता है और हानिकारक कीटाणुओं, टोक्सिन, आदि को ख़तम कर देता है| इसका काम विटामिन बनाना, पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त रखना, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाना भी है| आमतौर पर प्रयोग की जाने वाली दवाइयां भी लीवर में ही एक्टिवेट होती हैं|
इसी प्रक्रिया में लीवर ‘पित्त’ या ‘बाइल जूस’ का निर्माण कर उसे आंतो में भेजता है जो की अपने आप में बाइल एसिड, कोलेस्ट्रॉल, पिगमेंट, फॉस्फोलिपिड, और पानी आदि का मिश्रण होता है| यह बाइल जूस वसा या फैट को पचाने में बेहद ज़रूरी होता है|
क्योंकि हमारा लीवर बिना थके 24*7 काम करते हुए पित्त का निर्माण करता रहता है, इसलिए प्रकृति ने पित्त को इकठ्ठा करने के लिए एक गोदाम लीवर के नीचे प्रदान किया है जिसे ‘पित्त की थैली’ कहा जाता है| पित्त की थैली में लगातार बनने वाला पित्त इकठ्ठा होता रहता है जो की समय आने पर (वसायुक्त भोजन लेने पर) आवश्यक पित्त को आँतों में पंप कर देता है ताकि भोजन में मौजूद वसा का पाचन किया जा सके|
वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है की लीवर जितने सारे काम करता है उन सभी के समान अगर एक फैक्ट्री का निर्माण किया जाए तो 500* 500 वर्ग मीटर की जगह भी कम पड़ जाए|
लीवर एवं पित्त की थैली की समस्याएं समय रहते ठीक ना की जाएँ तो शरीर में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं|